ऐसे सभी चिकित्सकोंकों का हम हृदय से कोटि-कोटि आभार करते हैं। ऐसे सभी चिकित्सकोंकों का हम हृदय से कोटि-कोटि आभार करते हैं।
इस कहानी के पिछले चार भाग प्रकाशित हो चुका है इस कहानी को समझने के लिए उन चारों भाग को पढ़े अ... इस कहानी के पिछले चार भाग प्रकाशित हो चुका है इस कहानी को समझने के लिए उन चारों ...
सूरी ने कहा, "यह सही है," जब मैं सो गया तो मैंने अपनी राय दी।" सूरी ने कहा, "यह सही है," जब मैं सो गया तो मैंने अपनी राय दी।"
मैंने खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है थोड़ी सी वाह वाही के चक्कर में। मैंने खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है थोड़ी सी वाह वाही के चक्कर में।
कथाकार को लगा कि वह किससे बातें कर रहा है.... कहीं यह मेरा अक्स तो नहीं...! कथाकार को लगा कि वह किससे बातें कर रहा है.... कहीं यह मेरा अक्स तो नहीं...!
लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास